tag:blogger.com,1999:blog-3204712005864003660.post4959937831620743274..comments2015-11-21T12:26:20.844+05:30Comments on कुछ ग़ज़लें, कुछ नज़्में: रात भर की ये इबादत और दुआ कुछ भी नहीं : एक ग़ज़लनुसरत मेहदीhttp://www.blogger.com/profile/11016084491610117291noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3204712005864003660.post-38724659200201873122011-02-05T12:56:53.819+05:302011-02-05T12:56:53.819+05:30नुसरत जी,
बहुत ही उम्दा गज़ल है. मतला गज़ब का है.
&...नुसरत जी,<br />बहुत ही उम्दा गज़ल है. मतला गज़ब का है.<br /><br />"देखिये तो उम्र भर हम किस क़दर मसरूफ़ थे<br />सोचिये तो जिन्दगी भर क्या किया कुछ भी नहीं"<br /><br />लाजवाब है. <br /><br />"कुछ नहीं है सुर्ख आँचल की चमक तेरे बगैर,<br />और हथेली पर मिरी रंगे हिना कुछ भी नहीं."<br /><br />वाह.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204712005864003660.post-79794037191216773142010-12-30T16:02:18.511+05:302010-12-30T16:02:18.511+05:30नुसरत जी,
आप कमाल का लिखती हैं...
कृप्या और ग़ज़लें ...नुसरत जी,<br />आप कमाल का लिखती हैं...<br />कृप्या और ग़ज़लें और नज्में पोस्ट करें.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204712005864003660.post-16822614685563404462010-09-24T11:48:08.355+05:302010-09-24T11:48:08.355+05:30देखिये तो उम्र भर हम किस क़दर मसरूफ़ थे
सोचिये तो...देखिये तो उम्र भर हम किस क़दर मसरूफ़ थे <br />सोचिये तो जिन्दगी भर क्या किया कुछ भी नहीं <br /><br />kitni sachchi baat kahi di....कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.com